अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े आलू की भांति गाड़ दिए जाते हैं। पानी और सूर्य प्रकाश के सहारे इसके पौधे निकल आते हैं और धीरे-धीरे यह १ हाथ बढ़ जाते हैं। जड़ो में जो गांठदार कंद होती है वहीं अदरक कहलाती है। इसके पत्ते बांस के पत्ते जैसे आकार में उनसे कुछ छोटे होते हैं इस पर फूल बहुत ही कम आते हैं। यदि आश्विन या कार्तिक में इसे खोदा नहीं जाता तो जब कभी नीले रंग के या कुछ जामुन जैसा रंग लिए हुए छोटे-छोटे फूल आते हैं किंतु बहुत कम जो कभी-कभी ही देखने में आते हैं।
अदरक रस और पाक में शीतल, मधुर, चरपरा, हृदय और कंठ को हितकारी, भेदक, अग्नि दीपक, रुचिकारक, वीर्यवर्धक, पाचक तत्व, सूजन, अरुचि, कर वात, खांसी, स्वास, अफरा, मलबन्ध, वमन, कंठ, मस्तक और छाती के रोगों का नाशक हैं। अर्श गठिया और जलोदर पर भी हितकारी हैं। भोजन के पहले इसके टुकड़ों पर सेंधा नमक छिड़क कर खाने से सदैव पथ्यकर है इस से अरुचि मिटती है, जीभ और गला साफ हो कर छुधा बढ़ती है। अदरक अमाशय में पाचक रस की वृद्धि करता है, अतः इसके सेवन से भोजन का परिपाक उत्तम प्रकार से होता है। यह सारक अर्थात वायु और मल का अनुलोमन करने वाला होने पर भी कुछ ग्राही अवश्य है। पतले दश्तो को बंद कर मल को गाढ़ा करता है इसलिए यह अतिसार, प्रवाहिका आदि रोगों में भी लाभ करता है।
यदि इस को उचित मात्रा में सेवन किया जाए तो अल्पायु में वृद्धावस्था के चिन्ह जो अधिकांश लोगों में आया करते हैं वह कदापि नहीं आ सकते और भोजन भली भांति पच जाता है। जिसके कारण रस रक्त आदि धातुओं में क्रमशः वृद्धि होने लगती है जिससे शरीर स्वस्थ और सुंदर हो जाता है। इसे आयुर्वेद में दीर्घजनक कहा है।
अदरक के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से स्वास, कास ,कफविकार ,मंदाग्नि में लाभ होता है।
अदरक का रस १ सेर लेकर उसमें पुराना गुड़ एक पाव मिला मंद अग्नि पर पतली चासनी करें फिर उसमे पत्र, अज, नागकेसर, ताज छोटी इलायची, लौंग, सोंठ, काली मिर्च और पीपल का महीन चूर्ण 6-6 माशा मिलाकर रखें। एक माशा से 1 तोला सेवन करने से स्वास, काश, मंदाकिनी और अरुचि दूर होती है।
अदरक के २ सेर रस में बराबर मात्रा में गुड़ और धनिया, अजवाइन, लौह भस्म, जीरा, दालचीनी, तेजपात, इलायची और मोथा इन सब का महीन चूर्ण १ सेर तक मिला मंद अग्नि पर पका लें और करछी से चलाते रहें अवलेह जैसा बन जाने पर उतार लें। इसे उचित मात्रा में सेवन करने से खांसी, बवासीर, ज्वर, पीनस, बाय गोला और राज्य क्षमा में लाभ होता है।
अदरक को छीलकर छोटे-छोटे टुकड़े कर उन्हें जल में बफा लें आधी बफ जाए तो उसमे 3 गुना शक्कर की चाशनी बना उसमे उक्त अदरक को डाल दे, साथ में केशर, इलायची यदि डालनी हो तो डाल सकते हैं। मात्रा 1 तोला नित्य सेवन करने से अग्निमांध दूर होकर अरुचि नष्ट होती है। हृदय संबंधी रोगों पर अधिक लाभकारी है।
अदरक को चाकू से छीलकर छोटे-छोटे टुकड़े, धनिया, जीरा, इलायची, सेंधा नमक, पोदीना और काली मिर्च मिला पानी से भरे पात्र में रखकर इन्हे आग में बफार ले तथा मिट्टी या कांच के पात्र में डाल उसमें पकाया हुआ नींबू का रस ऊपर तक भर दें इसे अदरक का अचार भी कह सकते हैं। यह अत्यंत स्वादिष्ट, रुचिकारक, पाचक, छुधावर्धक एवं जठराग्नि दीपक हैं। भोजन के साथ इसका नित्य सेवन करें। कई मनुष्य राई, लाल मिर्च, सिंघा नमक आदि वस्तुओं को डालकर इसका अचार बनाते हैं जो अत्यंत ही पाचक होता है किंतु इतना स्वादिष्ट नहीं होता, कई मनुष्य सिरके में डालकर अदरक की अचार या चटनी बनाते है जो होती तो स्वादिष्ट है किंतु अत्यंत दाह कारक एवं पित्त को बढ़ाती हैं।
सिरदर्द – सिर में दर्द हो तो इसके रस को मर्दन करने से बहुत जल्द लाभ होता है। यदि आधासीसी का दर्द हो तो अदरक का रस शहद और जल समान मात्रा में एकत्र कर और रोगी को चारपाई पर इस प्रकार लेटा कर दें कि उसका सिर नीचे लटकता रहे, इस मिश्रण को २-३ बुँदे दर्द वाली और के नाक की नथने से टपका दें। यदि दवा मस्तक तक ना पहुंचे मुंह से होकर बाहर निकल जाय तो उसी समय पुनः डालें इसी प्रकार ३ या ४ बार इसे मस्तक तक पहुंचाने से शीघ्र लाभ होता है।
कान दर्द – अदरक के रस को जरा गर्म कर कान में डालने से कान की पीड़ा तुरंत दूर होती है।
छाती में पीड़ा – अदरक का रस 40 बूंद तक और मिश्री १ माशा मिलाकर सेवन करें
दांत दर्द – यदि आप दांतो के दर्द से परेशान हैं तो इसके लिए अदरक के टुकड़े को दांतों के बीच में दबाकर रखें ऐसा करने से दांत दर्द में आराम मिलता है
बहुमूत्र – बहुमूत्र में अदरक के रस में मिश्री मिलाकर प्रातः सायं सेवन करने से लाभ होता है।
अदरक की चाय – अदरक की 6 माशे से 12 माशे तक लेकर छोटे टुकड़े कर एक पाव जल में पका दें। आधा पानी रहने पर छानकर गौदुग्ध एवं शक्कर मिला चाय की तरह चम्मच से धीरे-धीरे पीवें। यह चाय कफ, खांसी, जुकाम, सिर दर्द, कमर, पसली, एवं छाती की पीड़ा दूर करती है तथा पसीना लाकर शरीर के स्त्रोतों को खोलती है यह पीने में भी बड़ी स्वादिष्ट होती हैं।