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इसके सदैव हरे रहने वाले पौधे अदरक के पौधे जैसे होते है और वे प्रायः ऐसे ही स्थानों में होते है , जहां की जमीम तर और छायादार होती …
इमली कच्ची इमली – अति खट्टी, भारी, गरम, रुचिकारक, मलरोधक, अग्निदीपक, वातनाशक, कफपित्तकारक, आंत्र-संकोचक, रक्तदूषक, आमकारक, विदाही है तथा वात और शूल रोग में पथ्य है पकी इमली – …
आम सर्वप्रिय फल है। सब कोई इसे बड़े प्रेम से खाते हैं और इसे सब फलों में श्रेष्ठ मानते है। इसीलिए इसको नृपप्रिय, फलश्रेष्ठ , फलाविराज कहते है। …
श्वेत और लाल दोनों प्रकार के अपामार्ग की जरियां पत्तों के डंठल के मध्य प्रदेश से निकलते है। वे दीर्घ , कर्कश, कटीली सी होती है। इसमें ही सूक्ष्म …
‘तुलसी’ शब्द की विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है की जिस वनस्पति की किसी से तुलना की जा सके, वह तुलसी है। तुलसी को हिन्दू धर्म में जगत जननी …
सेब का सेवन करने से शरीर को ऊर्जा मिलती है। सेब का सेवन करने वाले व्यक्ति के शरीर में भरपूर उत्साह रहता है। सेब का सेवन सभी को करना …
प्याज हमारे किचन का एक मुख्य आहार है। प्याज सब्जी और सलाद के रूप में इसका उपयोग किया जाता है। प्याज के बिना हमारे भोजन, साग, सब्जी और सलाद …
नींबू औषधीय गुणों का खजाना है नींबू में पाया जाने वाला फास्फोरस शरीर में नए तन्तुओं के विकास में सहायक होता है। नींबू रक्त को शुद्ध करने का काम …
लहसुन का प्रयोग हमारे घरों में मसालों के रूप में किया जाता है। लहसुन में बहुत गुण होता है। लहसुन रोगनाशक है, लहसुन में जितना रोग नाश करने की …
तुलसी का पौधा सदाहरित होता है अर्थात सदैव हरा भरा जाता है। साधारणता मार्च से जून तक इसे लगाते हैं सितम्बर तथा अक्टूबर में यह फूलता है। सारा पौधा …