
Bhojan karne ke niyam ! भोजन किस दिशा में करना चाहिए।
Bhojan karne ke niyam ! भोजन करने में दिशा का बहुत महत्व होता है। जब भी भोजन करना होता है तो हमें दिशा जरूर देखना चाहिए की हम किस दिशा में भोजन कर रहे है, किस दिशा में हमें भोजन करना चाहिए। कुछ लोग भोजन करते समय दिशा के बारे में कुछ नहीं सोचते है और भोजन करने बैठ जाते है। भोजन हम किस दिशा में करते है, भोजन करते समय किस दिशा की ओर बैठते है ज्योतिषशास्त्र में इसका गहरा मतलब बताया गया है। इस पोस्ट में हम आपको यह बतायेगें कि किस दिशा में भोजन करने से क्या होता है है। किस दिशा की और मुँह करके भोजन करना चाहिए।
पूर्व दिशा की ओर मुँह करके भोजन करने से क्या होता है।
धर्मग्रंथो के अनुसार पूर्व दिशा बहुत शुभ माना गया है। कोई भी धार्मिक पूजा पाठ हमलोग पूर्व दिशा में करते है। हमारे ऋषि मुनि भी वेद का अध्ययन पूर्व दिशा की और बैठकर करते थे। अगर आप पूर्व दिशा की और बैठकर भोजन करते है तो आयु बढ़ता है। पूर्व दिशा में भोजन करने से शरीर रोग मुक्त रहता है।
उत्तर दिशा की और मुँह करके भोजन करने से क्या होता है।
धर्मग्रंथो के अनुसार पूर्व दिशा भी शुभ माना गया है। उत्तर दिशा का सम्बन्ध धन के देवता कुबेर से है। कुबेर को धन का देवता कहा गया है। उत्तर दिशा की और मुँह करके भोजन करने से धन की प्राप्ति होती है। उत्तर दिशा की और बैठकर भोजन करने वाले पर कुबेर की कृपा बरसती है। भोजन करने के लिए पूर्व और उत्तर दिशा की ही श्रेष्ठ माना गया है।
पश्चिम दिशा की और मुँह करके भोजन करने से क्या होता है।
धर्मग्रंथो के अनुसार पश्चिम दिशा की और भोजन नहीं करना चाहिए। पश्चिम दिशा की और भोजन करने से आयु घटती है। पश्चिम दिशा में बैठकर भोजन करने से शरीर में रोग पैदा होता है। इसलिए स्वस्थ और लम्बी आयु की इच्छा रखने वाले को पश्चिम दिशा की और बैठकर भोजन नहीं करना चाहिए।
दक्षिण दिशा की और मुँह करके भोजन करने से क्या होता है।
दक्षिण दिशा अशुभ माना गया है। दक्षिण दिशा के देवता यमराज है। शास्त्रों के अनुसार दक्षिण दिशा की और बैठकर भोजन नहीं करना चाहिए। जिनके माता-पिता जीवित है उनको दक्षिण दिशा में भोजन नहीं करना चाहिए। जिनके माता-पिता मर गए है वे लोग दक्षिण दिशा की और बैठकर भोजन कर सकते है।
भोजन करने के नियम
भोजन करने से पहले हाथ, पैर और मुँह धो लेना चाहिए। हाथ-पैर धोये बिना भोजन करने से शरीर में रोग पैदा होता है। हाथ, पैर और मुँह धोकर भोजन करने से आयु बढ़ती है। भोजन हमेशा पालथी मारकर करना चाहिए। कुर्सी पर बैठकर भोजन नहीं करना चाहिए। भोजन करते समय मन में कोई विकार जैसे – क्रोध, चिंता, भय, ईर्ष्या आदि। भोजन करते समय मन को पवित्र रखना चाहिए। भोजन करने के समय जैसा आपका मन रहेगा, वैसा ही आपका स्वभाव बनेगा।
आपके मन में कोई भी सवाल या कोई विचार है तो निचे Comment Box में लिखें। दोस्तों अगर आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया है तो Facebook और Whatsapp पर जरूर शेयर करें। धन्यवाद