एक्जिमा रोग का प्रमुख लक्षण

एक्जिमा रोग का प्रमुख लक्षण तीव्र सता देने वाली खाज-खुजली, जलन और वेदना-पीड़ा होती है। इस रोग की फुंसियां लाल रंग की होती है जिन्हें खुजला-खुजला कर रोगी बेहाल और बदहवास हो जाता है। यही छोटी-छोटी फुंसियां तेजी से खुजलाने से और उसका तरल एक स्थान से दूसरे स्थान पर लग जाने के कारण फैल जाती है और बड़े घाव का रूप धारण कर लेती है जो रोगी के लिए और अधिक कष्टदायक हो जाता है। एक्जिमा शरीर में काफी अधिक फैल जाने के बाद रोगी का स्वास्थ्य तेजी से गिरता चला जाता है। इस अवस्था में रोगी को ज्वर भी हो जाता है। अधिकांशतः एक्जिमा के प्रभाव से रोगी हरारत अनुभव करते रहते हैं।

एक्जिमा के घाव से एक प्रकार का पीले रंग का पदार्थ अथवा सफेद पानी-सा रिसता रहता है। एक्जिमा का घाव ठीक हो जाने पर त्वचा पर एक प्रकार का निशान या दाग रह जाता है। एक्जिमा पुराना हो जाने पर रोग ग्रस्त त्वचा मोटी और खुरदरी एवं कठोर हो जाती है। फफोले जैसे एक्जिमा को ‘एरीथेटस एग्जिमा’ नाम से पुकारा जाता है। यह सहज प्रकृति का एक्जिमा होता है। इसमें अति नन्हीं बारीक फुंसियां उत्पन्न होती है। जब ये फुंसियाँ पक जाती है तो उसमें से मवाद बहने लगता है। इसी को ‘मवादी एक्जिमा’ के नाम से भी जाना जाता है। इसी अवस्था के एक्जिमा को ‘पामा अथवा पस्टूलर एक्जिमा’  कहते हैं। जब प्रदाह युक्त त्वचा फट जाए और उसमें दरारें सी उभर आयें तो उसको ‘स्कवामस एक्जिमा’ समझना चाहिए। इस प्रकार का एक्जिमा आम तौर पर उन बच्चों को होता देखा जाता है, जिनकी मां बच्चों के चेहरे पर अत्यधिक साबुन आदि प्रयोग करती रहती है। साबुन के अधिक प्रयोग से चेहरे की त्वचा सूख जाती है। साबुन के अधिक प्रयोग से चेहरे पर फुंसियाँ अलग से हो जाती है। जिनमें से एक प्रकार का रसीला सा पदार्थ बहता रहता है, जिससे धारियां-सी पड़ जाती है।

एक्जिमा अधिकतर लापरवाही और गैर जिम्मेदारी से तथा उचित इलाज समय पर न मिल पाने की वजह से लाइलाज हो जाता है। वैसे सही-सही इलाज हो जाने पर यह ठीक हो जाता है। लेकिन रोगी की अपनी गलतियों या चिकित्सा न मिल पाने से लंबे समय तक बना भी रह सकता है। कई मरीज ऐसे भी देखे जाते हैं जो जब तक औषधि प्रयोग करते रहते हैं, एक्जिमा रोग से मुक्त रहते हैं। लेकिन जैसे ही औषधि बंद करें कुछ समय के बाद फिर रोग ग्रस्त हो जाते हैं। कुछ रोगी खान-पान की एलर्जी के कारण बार-बार रोगी होते रहते हैं। शोध-अध्ययन के आंकड़ों से पता चलता है कि एक्जिमा यदि शरीर पर अधिक लंबे समय तक विराजमान रहे तो एक्जिमा ग्रस्त रोगी एकाएक इससे निजात पा जाता है अर्थात एक्जिमा दब जाता है और रोगी राहत की साँस लेता है। लेकिन रोग इस प्रकार एकाएक दब जाना खतरनाक भी हो सकता है। शोध से पता चला है कि दब जाने से आगे चलकर रोगी फेफड़ों से संबंधित अनेक रोग विशेष करके दमा तथा अन्य रोग जैसे अतिसार, यकृत संबंधी अनेक रोग एवं विकार तथा महिलाएं प्रदर आदि अनेक रोगों की  शिकार हो जाती है।