एक्जिमा का घरेलू उपाय
एक्जिमा का घरेलू उपाय – चर्म रोग अधिकाँश मामलों में शारीरिक साफ-सफाई के अभाव में पैदा होते हैं। जो लोग प्रतिदिन नियम से नहाते-धोते, साफ-सुथरे धुले वस्त्र पहनते हैं, उन्हें चर्म रोग एक तो होते नहीं, यदि होते भी हैं तो बहुत कम। साफ-सुथरे रहने वाले वही लोग रोग ग्रस्त होते हैं जिनके आसपास का वातावरण संक्रमण युक्त होता है या फिर वे ऐसे लोगों के बीच उठते-बैठते, रहते-सोते या खाते- पीते हैं, जो लोग चर्म रोगों के शिकार होते हैं। अतः शारीरिक सफाई के साथ-साथ अपने आसपास की सफाई का भी ध्यान रखना चाहिए।
घर में यदि कोई चर्म रोग से पीड़ित व्यक्ति, स्त्री या बच्चा हो तो उसके रहने-सोने की व्यवस्था अन्य सदस्यों से अलग होनी चाहिए। रोगी के कपड़े अन्य लोगों के कपड़ों से अलग होने चाहिए। इस प्रकार की सावधानी बरतने से रोग का प्रसार नहीं होता। चर्म रोग हाथ मिलाने से ही एक शरीर से दूसरे में प्रवेश कर सकते हैं। यदि किसी विशेष प्रकार के जीवाणु के संक्रमण से एक्जिमा का प्रकोप हो गया हो तो उसके बचाव के लिए एंटीबायोटिक चिकित्सा का सहारा लेना चाहिए। वैसे संक्रमण जन्य जीवाणु से आसानी से छुटकारा पाना संभव नहीं होता।
एक्जिमा के रोगी को कब्ज न रहने दें। कब्ज हो तो आवश्यकतानुसार ‘मैगसल्फ’ अथवा ‘कैस्टर ऑयल’ प्रयोग करायें। इसमें रोगी की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है, इसलिए रोगी की पाचन शक्ति मजबूत करें। रोग ग्रस्त त्वचा को साफ-सुथरी रखें। तेज किस्म के साबुन का प्रयोग कभी नहीं करना चाहिए। एक्जिमायुक्त त्वचा पर यदि साबुन प्रयोग करना ही हो तो ग्लिसरीन युक्त साबुन ही प्रयोग करें।
एक्जिमा के रोगी को धूल, धूप, गर्मी और लू से बचाना चाहिए। रोगी यदि पायरिया, कंठनली प्रदाह का शिकार हो तो इन रोगों का अलग से उपचार करें। रोगी को पूर्ण आराम की सलाह दें। हल्का सुपाच्य भोजन दें। मांस, मछली, अंडे, खट्टा-मीठा, चटपटा, मिर्च-मसालेदार, घी-तेल मक्खनयुक्त पदार्थों का भोजन में सेवन न करने दें।
रोगी यदि नशेबाज हो, शराब पीने का आदी हो तो उसको नशे से दूर रहने का उपदेश दें। यदि रोगी बच्चा हो तो भरपेट ठूँस-ठूँसकर भोजन कदापि न दें। बच्चे यदि कमजोर हो तो कॉडलीवर ऑयल दें। रक्तहीनता हो तो उसकी चिकित्सा अलग से करें। रात को इस रोग में खाज-खुजली अधिक सताती है तथा नींद नहीं आती। इसके लिए आवश्यक मात्रा में नींद लाने वाली औषधियां प्रयोग करायें। उबला पानी ठंडा करके रोगी को पिलायें। जल में नीम की पत्तियाँ उबालकर उसी जल से स्नान करने को दें।
रोगी का आहार सदैव सादा और विटामिनों से भरपूर रखना चाहिए। यदि रोग जीर्ण अवस्था का हो तो रोगी को फलों का रस और साग-सब्जी पर रखें, लेकिन नमक कदापि न दें। यदि रोगी नमक के बिना कुछ खा-पी न सके तो अल्प मात्रा में नमक प्रयोग करायें। वैसे नमक न देना अधिक हितकर है।
रोग का प्रसार न हो, रोग एक से अधिक लोगों तक न फैले, इसके लिए रोगी को आम लोगों से दूर रखें। रोगी के साथ जितना अधिक जन-संपर्क होगा रोग का प्रसार भी उतना ही अधिक होगा। इसका ध्यान रखें।
सुखा एक्जिमा हो तो किसी भी चर्म लोशन से उसको धोकर साफ करें। एक्जिमा यदि गीला हो तो उसमें पानी ना लगने दें। गीले एक्जिमा को पानी से गिला कदापि न करें। लेकिन जल को उबालकर ठंडा करके एक्जिमा वाले स्थान को धोया जा सकता है। जल के साथ यदि नीम की पत्तियाँ भी उबाल दें तो ज्यादा हितकर प्रभाव पड़ेगा। छारीय गुण वाले जल से स्नान करने का निर्देश दें। यदि रोगी समुद्र के किनारे का हो तो उसको समुद्र स्नान करने का आदेश दें।
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