कील मुँहासों का घरेलु उपाय ! कील मुहासों का घरेलू नुस्खा

मुहासे का घरेलू इलाज

मुहासे का घरेलू इलाज – 1. – कील मुँहासों की चिकित्सा कोई विशेष जटिल नहीं होती लेकिन सुनी-सुनाई औषधियों और विधियों से अपनी खुद की चिकित्सा करना खतरे से खाली नहीं होता। कुछ लोग ऐसा जोखिम उठाते हैं। इससे जो रोग साधारण अवस्था का रहता है एकाएक भयंकर रूप धारण कर लेता है। आगे चलकर रोगी का चेहरा कुरूप भी हो सकता है। इस संदर्भ में प्रयोग किए जाने वाले औषधि युक्त साबुन भी घातक प्रभाव छोड़ सकते हैं। क्रीम, मरहम आदि का प्रयोग भी हितकर हो सकता है।
2. – शारीरिक सफाई रखना जरूरी है। सफाई के अभाव में अनेक रोग शरीर को अपना घर बना सकते हैं। चेहरे को किसी अच्छे मृदु साबुन से दिन में दो-तीन बार साफ करना चाहिए। सौंदर्य प्रसाधनों में केवल लोशन ही प्रयोग कराया जाए तो अधिक बेहतर रहता है। कुछ लेप और मलहमों के आधार द्रव्य वसा और जल मिलकर प्रतिक्रिया कर सकते हैं, जिससे रोमकूपों में शोध, सूजन- प्रदाह उत्पन्न हो जाती है। अनेक तत्व रोग-वर्धक भी हो सकते हैं।
3. – स्वयं अपनी चिकित्सा नहीं करनी चाहिए। बल्कि इसके लिए सौंदर्य विशेषज्ञों की सलाह अथवा योग चिकित्सक से रोगी को परामर्श लेना चाहिए। ध्यान रखें- रोगी को सबसे पहले सफाई आदि का सख्ती से उपदेश दें। सफाई रखना ही स्वस्थ रहने का राज है। यदि चेहरे की अथवा पूरे शरीर की सही सफाई न की जाए तो ना केवल मुँहासे बल्कि और भी अनेक आकर घेर सकते हैं।
4. – यदि चेहरे के मुँहासों तोड़ना या निचोड़ना ही हो तो सबसे पहले चेहरे की भली-भांति सफाई कर लें। इसके बाद सावधानी और सतर्कता के साथ मुँहासों को निचोड़कर कील निकालनी चाहिए। कील निकल जाने के बाद 2 प्रतिशत कैलामेल लोशन और 3 प्रतिशत पोटाश सल्फ्युरेट मिलाकर तैयार किया गया पेस्ट चेहरे पर मलना चाहिए। यह ठीक है कि कील-मुँहासों की चिकित्सा करने में थोड़ा विलंब लगता है। पर धैर्य तो रखना ही पड़ेगा। धैर्य के साथ की गई चिकित्सा का फल भी श्रेष्ठ आशानुसार मिलता है। रोगी का भी कर्तव्य है कि वह अपनी चिकित्सा में धैर्य बनाए रखें। चिकित्सक को चाहिए कि वह रोगी को हर क्षण हर पल सांत्वना देता रहे। रोगी को रोग के प्रति डराना नहीं चाहिए।
5. – रोगी का पेट साफ रखें। कब्ज कदापि न होने दें। पाचन संबंधी समस्त विकारों की यथेष्ट चिकित्सा करें। पाचन शक्ति बढ़ायें। रोगी को भूख खुलकर लगे ऐसा प्रयत्न करना चाहिए।
6. – चेहरे को नियमित रूप से किसी अच्छे कोमल साबुन से दो-तीन बार धोने का आदेश दे। चेहरा साफ करने के बाद चेहरे पर क्लियरेसिल लगायें। रात को चेहरा भली-भांति गुनगुने पानी से धोकर सोने से पहले लगाया जाना बेहतर है। मुँहासों के लिए कैलाश जीवन भी प्रयोग किया जा सकता है। इसके परिणाम भी अच्छे हैं।
7. – चेहरे में अधिक शुष्कता हो तो चेहरे पर रात को सोने के पूर्व कोई अच्छा विश्वसनीय एंटीसेप्टिक परफ्यूम भी प्रयोग किया जा सकता है।
8. – कील मुहांसों को विशेष करके जो गहरे हो, असावधानीपूर्वक निचोड़ना नहीं चाहिए। इससे चेहरे पर गड्ढे अथवा गहरे दाग पड़ जाते हैं। रोगी को यदि कोई चिकित्सक यह कह दे कि आयु बढ़ने पर मुँहासे अपने आप पीछा छोड़ देंगे- यह ठीक नहीं होगा। यह चिकित्सकीय कर्तव्य नहीं है। इससे रोग के प्रति लापरवाही और गैरजिम्मेदारी का रवैया बढ़ जाएगा और रोग उग्र अवस्था को प्राप्त होकर चेहरे को कुरूप भी कर सकता है।
9. – महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा अपने चेहरे का ध्यान अधिक सताता रहता है। हर महिला सुंदर बनी रहने के लिए लालायित रहती है। रोगी को खेलकूद, व्यायाम, खुली वायु में सुबह-शाम सैर करना, उचित खान-पान, आहार-विहार की ओर प्रोत्साहित करें। सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से भी लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

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