रोगी को तीव्र ज्वर होता है। ज्वर अधिकतम तीन-चार दिन तक रहता है। उसके बाद शरीर पर बारिक-बारिक फुंसियाँ सी निकलती हैं। यही फुंसियां आगे चलकर बढ़ जाती हैं और घावों में परिवर्तित हो जाती है।
रोगी की पलकें, भोँह, हाथों की अंगुलियां, नाक की श्लेष्मिक झिल्ली गलकर गिर जाती है। उसमें पहले सड़न पैदा होती है। फेफड़ों में प्रदाह और जलन होती है। यदि ऐसे लक्षण उभरे तो यह कठिन लक्षण समझा जाता है। ऐसे लक्षण के बाद आम तौर पर रोगी का प्राणांत हो जाता है। यह ग्रंथियों में कुष्ठ रोग होने के प्रधान लक्षण हैं।
वात के कुष्ठ में रोग स्नायु पर हमला करता है। शरीर में स्थान-स्थान पर संवेदना का आभास होने लगता है। उसके बाद जहाँ चर्म रोग का प्रकोप होता है, वहाँ संवेदना विकार से उत्पन्न कुष्ठ में पक्षाघात भी हो जाता है। मिश्रित कुष्ठ के लक्षणों से युक्त कुष्ठ असाध्य होता है।
कुष्ठ का रोगी काफी कमजोर हो जाता है। ग्रंथि के कुष्ठ में जीवाणुओं के आक्रमण के बाद लगातार ज्वर होता रहता है। शरीर भारी और तन्द्रा की अनुभूति करता है। रोगी को पहले दस्त और काफी पसीना आता है। दाने जो शरीर पर निकलते हैं, ज्वर उतरते ही गायब हो जाते हैं और पुनः ज्वर आने पर वापस लौट आते हैं। यह क्रम बना रहता है। अंत में ये गाँठें बन जाती है और बढ़ने लगती है। चेहरा भद्दा, बेडौल और कुरूप हो जाता है। गाँठें चेहरे, पीठ, हाथ, पैर, गालों और नितंबों पर उभरती हैं। चेहरे और कान की त्वचा मोटी हो जाती है। यही ग्रंथियां बाद में फट जाती है। आंखों की ग्रंथियाँ फट जाने पर रोगी अंधा तक हो जाता है। कमजोरी रहती है। एकाएक कभी किसी अन्य बीमारी के घातक आक्रमण से रोगी की मृत्यु हो जाती है।
तंत्रिका कुष्ठ तंत्रिकाओं में पैदा होता है। तंत्रिकाओं में परिवर्तन हो जाता है। रुग्ण अंगो में सुरसुराहट सी अनुभव होती है। इसके लक्षण भी बार-बार प्रकट होकर मिट जाते हैं। वेदना के साथ स्पर्श सहिष्णुता भी रहती है। पिन या सुई चुभोने का ज्ञान नहीं होता, पेशियां ढीली पड़ जाती है। ग्रंथिक कुष्ठ के रोगी की अपेक्षा तंत्रिका तंत्र कुष्ठ का रोगी ज्यादा दिनों तक जीवित रह जाता है। इसमें भी मृत्यु किसी अन्य बीमारी से, संक्रमण की वजह से एकाएक होती है। मिश्रित कुष्ठ सब प्रकार के कुष्ठ का मिला-जुला एक भयंकर रूप है। इसमें हर प्रकार के लक्षण विद्यमान रहते हैं। पहले कुष्ठ को असाध्य समझकर छोड़ दिया जाता था लेकिन अब इस कलंक को नष्ट करने में सफलता मिल रही है।