लहसुन का प्रयोग हमारे घरों में मसालों के रूप में किया जाता है। लहसुन में बहुत गुण होता है। लहसुन रोगनाशक है, लहसुन में जितना रोग नाश करने की क्षमता है उतना और किसी चीज़ में नहीं है। जो व्यक्ति लहसुन का नियमित प्रयोग करता है वह लंबे समय तक जवान बना रहता है। उसे जल्दी बुढ़ापा नहीं आता। लहसुन सेवन करने वाले व्यक्ति के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। लहसुन में एलियम नामक एंटीबायोटिक पाया जाता है जो संक्रामक रोगों से मुक्ति प्रदान करने में सहायता करता है। लहसुन के सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती है। लहसुन रक्त को शुद्ध करता है जिस व्यक्ति के शरीर में फोड़े, फुंसी, घाव, खुजली आदि होता है उस व्यक्ति को लहसुन खाना चाहिए क्योंकि शरीर में फोड़े, फुंसी, घाव और खुजलीआदि रोग खून की अशुद्धि के कारण होता है इसलिए लहसुन खाने वाले व्यक्ति को फोड़े फुंसी घाव खुजली आदि नहीं होते हैं। लहसुन कैंसर में रामबाण की तरह काम करता है लहसुन में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है।
लकवा – 25 ग्राम लहसुन की छिली हुई कलियों को बारीक पीसकर ५०० ग्राम गाय के दूध में पकावें और आवश्यकतानुसार पिसी हुई मिश्री मिलाकर खीर की भांति गाढ़ा करने हो जाने पर रोगी व्यक्ति को खिला दें। लगभग 40 दिनों तक खिलाने से लकवा से मुक्त हुआ जा सकता है। लहसुन के तेल की मालिश करने से भी इस रोग में आराम होता है।
TV – क्षय से बचाव में लहसुन अमृत के समान कार्य करता है। क्षय होने पर लहसुन की कली दूध में उबाल कर पिये लहसुन के रस में रुई की बत्ती बनाकर काफी दिनों तक सूंघने से TV के रोगाणु नष्ट हो जाते हैं। लहसुन के 5 ग्राम रस में 15 ग्राम ताजा पानी मिलाकर पीने से आंतो का क्षय ठीक हो जाता है।
हार्ट अटैक (दिल का दौरा पड़ना) – जैसे ही दिल का दौरा पड़ने लगे तुरंत लहसुन की 5-6 कलियां चबा लेनी चाहिए। ऐसा करने से दौरे का प्रभाव समाप्त हो जाएगा तब दूध में उबालकर लहसुन देते रहें ।लहसुन वायु-नाशक होने के कारण पेट से वायु निकाल देता है जिससे हृदय पर वायु का दबाव कम हो जाता है।
ह्रदय रोग होने का कारण हृदय की धमनियों में जमा होने वाला ‘कोलेस्ट्रोल’ नामक पदार्थ है, जिससे धमनियाँ सिकुड़कर बीमार हो जाती है। लहसुन धमनियों को सिकोड़ने से रोकता ही नहीं है बल्कि सिकुड़ी हुई अस्वस्थ धमनियों में जमे हुए ‘कोलेस्ट्रोल’ को निकाल कर उन्हें फिर से फैलाकर निरोग कर देता है। लहसुन के नियमित इस्तेमाल करने से हार्ट अटैक से मुक्ति मिलती हैं।
मलेरिया ज्वर – जिस समय मलेरिया का बुखार आने वाला हो उससे पूर्व हाथ पैरों के नाखूनों पर लहसुन के रस का लेप करें तथा एक चम्मच लहसुन का रस इतना ही तिल का तेल मिलाकर चाटें ऐसा एक-एक घंटे पर ज्वर आने से पूर्व करते रहे ४-५ दिन तक ऐसा करने से मलेरिया का बुखार ठीक हो जाता है।
गंजापन – सिर के बाल-रहित स्थान पर कुछ दिनों तक दिन में दो बार लहसुन का रस लगायें और सूखने दें ऐसा रोग की दशा के अनुसार दो तीन महीने तक करने से गंजे स्थान पर फिर से बाल उग आयेंगे।
लहसुन का नियमित प्रयोग करने वाला व्यक्ति असमय में वृद्ध नहीं होता। वह लंबी आयु तक स्वस्थ और जवान बना रहता है। वृद्धावस्था आने पर शरीर की धमनियाँ सिकुड़ने लगती है, जो लहसुन के प्रयोग से सिकुड़ नहीं पाती। साथ ही सहजासन को प्रतिदिन 2 मिनट करते रहने से आयु भी बढ़ जाती हैं
दंत रोग – पायरिया, मसूड़ों में सूजन और दांतों में बदबू आने पर प्रतिदिन 2 बार 10 ग्राम के लगभग शहद में 15-20 बूंद लहसुन का रस भली-भांति मिलाकर चाटें। लहसुन का मंजन करने से भी उक्त रोगों के अलावा दंत कृमि आदि सामान्य दंत रोगों से भी मुक्ति मिल जाती हैं
खुजली – लहसुन सरसों के तेल में उबालकर रख लें इस शोधित तेल की कुछ दिनों तक मालिश करने से रक्त शुद्ध होता है और खुजली जाती रहती हैं।
लहसुन के मंजन से दांत साफ करने से दांत मजबूत होते हैं साथ ही इस मंजन से पायरिया, मसूड़ों में सूजन और दांतो से बदबू आने की समस्या से भी छुटकारा मिलता है। लहसुन का मंजन बनाने के लिए लहसुन पीसकर लगभग 50-६० ग्राम सरसों के तेल में डालकर लहसुन जल जाने तक गर्म करें।
लहसुन से जुड़े कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें।
(1) लहसुन खाने के बाद सूखा धनिया चबाने से लहसुन की तीखी गंध नहीं आ पाती
(2) लहसुन की लुगदी का रस प्रभावित अंगों पर ५-10 मिनट से अधिक नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि यह तीव्र दाहक होता है। लेप अधिक समय तक रहने पर छाला हो सकता है, अतः थोड़ी देर बाद ही ठंडे पानी से धोकर तेल चुपड़ देना चाहिए।
(3) कच्चा लहसुन चबाने से पूर्व थोड़ा पानी पीकर मुख तर कर लेना चाहिए। पिसा लहसुन मटर के दाने के बराबर मात्रा में खाकर ऊपर से पानी पी लेना चाहिए।
(4) लहसुन के सेवन मात्रा एक मासा (लगभग 1 ग्राम) तक है।
(5) लहसुन के प्रयोग करने से यदि आपके शरीर में गर्मी की मात्रा बढ़ने लगे लहसुन का सेवन छोड़ देना चाहिए।
(6) जिस व्यक्ति के शरीर का प्रकृति गर्म है ऐसे व्यक्ति को लहसुन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(1) लहसुन खाने के बाद सूखा धनिया चबाने से लहसुन की तीखी गंध नहीं आ पाती
(2) लहसुन की लुगदी का रस प्रभावित अंगों पर ५-10 मिनट से अधिक नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि यह तीव्र दाहक होता है। लेप अधिक समय तक रहने पर छाला हो सकता है, अतः थोड़ी देर बाद ही ठंडे पानी से धोकर तेल चुपड़ देना चाहिए।
(3) कच्चा लहसुन चबाने से पूर्व थोड़ा पानी पीकर मुख तर कर लेना चाहिए। पिसा लहसुन मटर के दाने के बराबर मात्रा में खाकर ऊपर से पानी पी लेना चाहिए।
(4) लहसुन के सेवन मात्रा एक मासा (लगभग 1 ग्राम) तक है।
(5) लहसुन के प्रयोग करने से यदि आपके शरीर में गर्मी की मात्रा बढ़ने लगे लहसुन का सेवन छोड़ देना चाहिए।
(6) जिस व्यक्ति के शरीर का प्रकृति गर्म है ऐसे व्यक्ति को लहसुन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।