
मलेरिया के लक्षण
नमस्कार दोस्तों। इससे पहले पोस्ट में मै आपको बताया था मलेरिया रोग फैलने का कारण ये तो आप जानते ही है कि मलेरिया एक संक्रामक रोग है। यह मच्छर के द्वारा फैलता है। मलेरिया को फैलने में बहुत समय नहीं लगता है। जब किसी को मलेरिया हो जाता है तो सर्दी, बुखार होना आम बात है लेकिन सर्दी और बुखार तो साधारण अवस्था का भी हो सकता है। इस लेख में हम आपको बताने जा रहे है मलेरिया के लक्षण। मलेरिया रोग की पहचान आप कैसे कर सकते है। मलेरिया होने पर शरीर में क्या होता है। चलिए जानते है।
मलेरिया के लक्षण
मलेरिया रोग के शरीर पर अधिकार पाते ही सर्वप्रथम रोगी को हरारत अनुभव होती है और उसके पश्चात एकाएक तेज बुखार हो जाता है। बुखार के साथ रोगी को भयंकर कंपकंपी छूटती है। रोगी के दाँत बजने लगते हैं। रोगी ठंड के मारे हाथ पैर सिकोड़ लेता है। बुखार 103 से लेकर 106 डिग्री तक हो जाता है। कई रोगी तो इतनी जोर से कांपने लगते हैं कि पूरी खाट हिलने लगती है। ठंड ऐसी लगती है कि 3-4 कंबल ओढ़ाने पर भी रोगी काँपता रहता है।
मलेरिया रोगी के यकृत और प्लीहा बढ़ जाते हैं। तेज बुखार से शरीर में रक्त और पानी की कमी हो जाती है। रोगी एक-दो दिन में ही कमजोर, दीन-हीन हो जाता है। रोगी का चेहरा निस्तेज और कांतिहीन हो जाता है। मलेरिया बुखार जब पुराना हो जाता है तब रोगी को बुखार जाड़ा देकर नहीं आता। बिना जाड़े के बुखार आता रहता है।
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एक दिन छोड़कर आने वाले बुखार को ‘तिजारी बुखार’ कहा जाता है। 2 दिन छोड़कर जो बुखार आता है उसको ‘चौथिया बुखार’ के नाम से जाना जाता है। प्रतिदिन आने वाले बुखार को ‘एकतरा बुखार’ की संज्ञा दी गई है। बुखार में रोगी को भयंकर सिर दर्द होता है। मानो सिर फटा जा रहा हो।
रोगी को रह-रहकर चक्कर आते रहते हैं। रोगी को मलेरिया बुखार के दौरान कब्ज की शिकायत भी हो जाती है। जी मिचलाता है और वमन भी हो जाती है। रोगी की जीभ का स्वाद कड़वा-कसैला, बेस्वाद विकृत हो जाता है। रोगी प्रलाप कर उठता है। बेचैनी-व्याकुलता इतनी बढ़ जाती है कि वह खाट पर पड़ा हाथ-पैर पटकने लगता है। रोगी को पूरे शरीर में वेदना होती है।
कुछ रोगियों को बुखार के साथ तीव्र दस्त भी लग जाते हैं। रोगी कुछ ही दिनों में पीला हो जाता है। शारीरिक शक्ति एकदम हीन हो जाती है। खड़े होते हैं सारी दुनिया घूमती नजर आती है और रोगी घबराकर माथा थाम बैठ जाता है। मलेरिया बुखार पसीना आने के बाद उतर जाता है यही इसका विशेष लक्षण है।
उपरोक्त लक्षणों को देखने के बाद ‘मलेरिया बुखार’ को पहचानने में कोई विशेष असुविधा नहीं होती। इसकी पहचान एकदम सहज और सरल है। इसके लक्षण स्पष्ट रहते हैं। ठीक समय पर बुखार आना और पसीना देकर छूट जाना, रक्त की कमी, यकृत-प्लीहा की वृद्धि से मलेरिया की पहचान होती है।
मलेरिया बुखार का परीक्षा से भी निदान किया जाता है। रक्त परीक्षा में मलेरिया पैरासाइट का मिलना निश्चित मलेरिया की विशिष्ट पहचान है। उपसर्ग के रूप में अतिसार, अधकपारी, हिस्टीरिया, आमवात, एफेसिया, शरीर नीला पड़ जाना, ह्रदय का काँपना, रक्तहीनता, हिचकी, मूक-बधिरता, अंधत्व, बोलने की शक्ति लोप हो जाना, आन्त्रशूल, उन्माद आदि होते हैं। मलेरिया रोग के साथ कॉलरा, कालाजार, टाइफाइड, निमोनिया, पित्ताशयशोथ, यकृतशोथ मानसिक विकार आदि उपद्रव प्रकट होते हैं तो मलेरिया रोगी आगे चलकर ‘पीलिया’ रोग का शिकार हो जाता है। पेचिश की शिकायत भी अक्सर हो जाती है।