नींबू औषधीय गुणों का खजाना है नींबू में पाया जाने वाला फास्फोरस शरीर में नए तन्तुओं के विकास में सहायक होता है। नींबू रक्त को शुद्ध करने का काम करता है। नींबू रक्त को शुद्ध करके त्वचा में चमक लाता है। नींबू की प्रकृति क्षारीय होती है। नींबू में एक एसिड पाया जाता है जिसको साइट्रिक एसिड कहते हैं। नींबू में साइट्रिक एसिड होने पर भी यह पेट के लिए हानिकारक नहीं होता है। नींबू को नमक के साथ रखने पर वह बहुत दिनों तक ताजा बना रहता है और उसमें कोई विकृति नहीं आती है। एक गिलास पानी में एक नींबू का रस डालकर पीने से शरीर स्वस्थ रहता है। नींबू मुंह के स्वाद को ठीक करके भोजन के प्रति पैदा करता है जिस व्यक्ति को ठीक से भूख नहीं लगती है उस व्यक्ति को नींबू पर काला नमक डालकर गर्म करके उसका रस सूचना चाहिए। ऐसा करने से भूख खुलकर लगने लगती है। गर्मी के मौसम में नींबू का शिकंजी पिने से गर्मी से राहत मिलती है। नींबू का शिकंजी लोग बड़े चाव से पीते हैं नींबू की शिकंजी पीने से पेट साफ और ठंडा होता रहता है।
यदि सिर के बाल पकते, टूटते या उनमे जुएँ पर जाएं तो निम्बू के रस से सिर के बालों की मालिश करनी चाहिए।
बाल सफेद होना – नजला, वंशानुगत, विटामिन की कमी, मानसिक परेशानी या अधिक चिंता के कारण सिर के बाल असमय में सफेद हो गए हो तो नींबू के रस में सूखा कपड़छन किया बारिक आंवला मिलाकर सिर पर लेप करना। चाहिए ऐसा करने से बाल काले चीखने और घुंघराले हो जाएंगे। साथ ही इससे बालों की अन्य व्याधियां भी समाप्त हो जाएगी।
रोग का कारण मानसिक चिंता आदि हो छोड़ देना चाहिए
मोतियाबिंद– रोग की प्रारंभिक अवस्था में नींबू के रस में थोड़ा सेंधा नमक मिला और पीसकर दिन में 2 बार पर्याप्त समय तक लगाते रहने से मोतियाबिंद का बढ़ना रुक जाता है।
चेहरे के चकते – रक्तविकार अभक्ष्य-भक्षण जलवायु या अन्य किसी कारण से चेहरे पर गोल चीथड़े से काले चकत्ते बनकर मुख के सौंदर्य को बिगाड़ देते हैं। इसके लिए नींबू के रस में समुद्रफेन मिलाकर रात को सोते समय धब्बों पर लगाएं अथवा केवल नींबू रस में लगाते रहें।
जवानी के कील-मुहांसे – निम्बू का रस चार गुनी ग्लिसरीन में मिलाकर चेहरे पर रगड़े। इस प्रयोग को कुछ समय तक करते रहने से कील, मुंहासे आदि मिट जाते हैं और चेहरा कांतिमान हो जाता है।
दंत रोग – नींबू के रस को ताजा जल में मिलाकर कुल्ला करने से दांतों के अनेक रोग दूर हो जाते हैं। मुख की दुर्गंध जाती रहती हैं। रस रहित ताजे नींबू के छिलके से दांतों को रगड़ने से वे साफ, सुंदर, चमकदार हो जाते हैं।
(2) नींबू के छिलके सूखाकर कूटपीस मंजन बना लें। इस मंजन को करने से दांत मजबूत साफ और मोती जैसे चिकने हो जाते हैं।
(3) नींबू का रस सरसों का तेल और पिसा नमक मिलाकर प्रतिदिन मंजन करें। यह प्रयोग दांतो के समस्त रोगों को दूर कर उन्हें मजबूत और चमकदार बनाता है।
(4) पायरिया में मसूढ़ों पर नींबू का रस मलते रहने से रुधिर और दीव का स्त्राव रुक जाता है।
सिर दर्द – गर्म चाय में दूध के स्थान पर नींबू का रस डालकर रोगी व्यक्ति को पिलाकर लिटाने से दर्द समाप्त हो जाएगा।
(2) नींबू के दो समान टुकड़े करके उन्हें किंचित गर्म कर मस्तिष्क और कनपटियों पर लगाकर रोगी को हवा लगने से बचा लें, ऐसा करने से सिर दर्द से मुक्ति मिल जाएगी।
(3) सिर में चक्कर आने का कारण गैस प्रॉब्लम हो तो नियमित रूप से कुछ दिनों तक गर्म पानी में नींबू निचोड़कर पीना चाहिए।
कंठदाह कास खांसी जुकाम और सिरदर्द – फेफड़ों में कफ जम गया हो जो कठिनाई से निकलता हो।
खांसी जुकाम पुराने पड़कर रोगी व्यक्ति के जीवन को ग्रस रहे हो तो भीगे हुए कपड़े में नींबू लपेट, भूभल में गर्म कर तुरंत निचोड़ ले और उसमे शहद मिलाकर मात्रा ४-5 ग्राम दिन में २-३ बार चाटने से कफ सरलता से निकल जाएगा।
निर्देश – (1) जिस खांसी में कफ पतला निकलता हूं उसमें यह योग ना दें।
(2) उक्त प्रयोग से गले के समस्त विकार नष्ट हो जाते हैं।
(3) मधु के अभाव में कंठ के रोगों के लिए नींबू के रस में गर्म पानी (अनुपात १:४) में नमक मिलाकर गरारे करने चाहिए। इससे गले की सूजन, गला बैठ जाना आदि रोग समाप्त हो जाते हैं।
उल्टी होना – जी मिचलाना प्रारंभ हो हो कालीमिर्च, नमक मिला नींबू का रस चूस लेने से जी मिचलाना रुक जाता है और उल्टी नहीं होती।
यदि शिशु दूध उलटता हो तो ताजा पानी में कुछ बुँदे नींबू के रस की मिलाकर पिलाना चाहिए।
हाई ब्लडप्रेशर – किसी भी प्रकार से नींबू के रस का प्रयोग करने से रक्तवाहिनियां कोमल और लचकदार हो जाती हैं। हार्टफेल होने का भय नहीं रहता और रक्तचाप सामान्य बना रहता है।
टी.बी. (यक्ष्मा) – टी.बी. की प्रारम्भिक अवस्था में लगभग 20 ग्राम नींबू के रस को एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर ११ नग तुलसी के पत्ते, हींग, नमक और भुना-पिसा जीरा डालकर कुछ दिनों तक दिन में कई बार पिलाते रहने से हर समय रहने वाला ज्वर ठीक हो जाता है। टी.बी. के जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।
दमा – नींबू का रस, शहद और अदरक का रस उचित मात्रा में गर्म पानी में मिलाकर पीते रहने से दमा रोग से मुक्ति मिल जाती है।